यह एक गंभीर प्रश्न है जिस का उत्तर ढूंढे बिना जाले विधानसभा में रचे गए खेल की वास्तविकता सामने नहीं आसकेगी। इस के लिए छानबीन करना अति आवश्यक है, जिस से यह मालूम हो सकेगा कि मदन मोहन झा सही मानी में जाले विधान सभा में कांग्रेस को जिताना चाहते हैं या उनकी अंतर आत्मा में विराजित भाजपा की राह आसान करने की मंशा है? या कोई अन्य निजी लाभ के लिए उन्हों ने यह किया है। जब आप तथ्यों को खंगालेंगे तो उक्त प्रश्न का उत्तर आसानी से मिल जाएगा, जो मदन मोहन झा के निजी स्वार्थ को प्रदर्शित करता है। उनके इस कदम से स्पष्ट हो जाता है कि वह अपने इस कदम से दो उद्देश्यों को संरक्षित करने जारहे हैं । नंबर एक अपनी अंतर आत्मा में सजग भाजपा को मदन मोहन झा बिहार में विजयी देखना चाहते हैं। दूसरा यह की आगामी 22 नवंबर को बिहार के दरभंगा क्षेत्र से टीचर्स एंड ग्रेजुएट्स एम् एल सी का चुनाव होने वाला है और वह एम् एल सी सीट के लिए अपना ठोके हुए हैं, लिहाजा लोकल कैंडिडेट को नजर अंदाज कर के उन्हों ने पैराशूट उम्मीदवार को इस लिए टिकट दिलाया है की मश्कूर उस्मानी के पिता दरभंगा निजी स्कूल चलते जहाँ से उन्हें टीचर्स और ग्रेजुएट्स के वोट दिलाने की लालच दी गयी होगी। इसी प्रलोभन के मद्दे नजर उन्हों ने यह सब किया जो जले विधानसभा की जनता के साथ विश्वाश्घात है।
इस दो कयासों से स्पष्ट होजाता है की बिहार में कांग्रेस पार्टी कैसे स्वार्थी लोगों की मुठ्ठी में कराह रही है। यदि समय रहते कांग्रेस आला कमान ने मदन मोहन झा जैसे स्वार्थी तत्वों को बहार कर के बिहार प्रदेश कांग्रेस का शुद्धिकरण नहीं किया तो यह अंदर से भाजपा के लिए सुनियोजित कार्य करने वाले तथाकथित कांग्रेसी बिहार कांग्रेस को और अधिक गरत में ले जायेंगे। अब क्षेत्र के अल्पसंख्यकों को क्या करना चाहिए इस पर खुद मंथन करना होगा और किसी भी पार्टी के ऐसे उम्मीदवार को चयनित करना होगा जो राजग गठबंधन को रोकने में सफल दिखाई देता हो। परन्तु किसी भी हाल में कांग्रेस के इस पैराशूट कैंडिडेट को बहुमूल्य मत देकर अपने मत को ख़राब न किया जाये। यह उम्मीदवार कांग्रेस की जमानत बचाने में भी सक्षम नहीं दिखाई दे रहा है।
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